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- MP देशका तीसरा बड़ा पशुधनयुक्त राज्य है।
- प्रदेश में पशुघन में सर्वाधिक संख्या बकरियों की है।
- पशु घनत्व के आधार पर टीकमगढ़ प्रथम, सतना तथा राजगढ़ द्वितीय तथा होशंगाबाद, हरदा तृतीय स्थान पर आते हैं।
- प्रदेश में दूध देने वाली गायों में निमाड़ी गाय सर्वप्रमुख है।
- म.प्र. में पशुपालन शिक्षा (बी.व्ही. एस.सी.) के लिए महू तथा जबलपुर में कॉलेज है।
- म.प्र. में 1975 में स्टेट डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की स्थापना की गई है।
- म.प्र. में गौवंश पशुओं की उन्नति के लिए जर्सी संकर प्रजनन की नीति अपनाई गई है।
- म.प्र. में गौ वंश के संरक्षण हेतु 1995 में गौ सेवा आयोग . अधिनियम बनाया गया है, जिसके तहत गौ सेवा आयोग का गठन किया गया है।
- म.प्र. में गौ सेवा आयोग के तहत 315 गौ शालाएँ संचालित की जा रही हैं।
- म.प्र. के जबलपुर में ‘सांड़ प्रजनन केंद्र’ स्थित है।
- प्रदेश में 8 पशु प्रजनन प्रक्षेत्र हैं।
- म.प्र. राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की स्थापना नवम्बर 1982 में की गई।
- मज़्र. में 4 भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र और 22 भेड़ ऊन विस्तार केन्द्र कार्यरत हैं।
- म.प्र. में वर्ष 2012 की पशु संगणना के अनुसार 80.14 लाख बकरे-बकरियाँ हैं एवं भेड़ों की संख्या 3.09 लाख है।
- MP में एक बकरी प्रजनन प्रक्षेत्र तथा 7 बकरी प्रंजनन इकाइयाँ कार्यरत हैं।
- 1997 के अनुसार 5.28 लाख सूआर है।
- रानीखेत मुर्गियों में होने वाली बीमारी है।
- मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में मुर्गा की ”कड़कनाथ ” प्रजाति पायी जाती है।
- खुरपक्का-पुहँपक्का एवं लंगड़ी पशुओं में होने वाली बीमारी है।
- वर्तमान में प्रदेश में ऑफ्रेशन फ्लड-गञा चल रहा है।