इलेक्ट्रॉन  (Electron)- इलेक्ट्रॉन की खोज 1897 में अंग्रेज वैज्ञानिक जे० जे० थॉमसन ने केथोड किरणों के रूप में की। इलेक्ट्रॉन अतिसूक्ष्म कण होते है तथा ये परमाणु में नाभिक के बाहर चारों ओर चक्कर लगाते है। यह एक स्थायी (stable) मूल कण है।  

प्रोटॉन  (proton)- प्रोटॉन की खोज प्रसिद्ध वैज्ञानिक गोल्डस्टीन ने सन्‌ 1896 में नाइट्रोजन नाभिकों पर कणों का प्रहार करके की।  यह एक अतिसूक्ष्म कण है। इसका उपयोग कृत्रिम तत्वान्तरण  में होता है।  

न्यूट्रॉन (Neutron) – न्यूट्रॉन की खोज अंग्रेज वैज्ञानिक जेम्स चैडविक ने सन्‌ 1932 में बेरेलियम पर कणों का प्रहार करके की। यह एक आवेश रहित कण हैं। इसकी भेदन-क्षमता अत्यधिक होती है। यह कैंसर की चिकित्सा और नाभिकीय विखण्डन  में प्रयुक्त किया जाता है।  

पोजीटॉन (position) – यह एक धनावेशित मूल कण है, जिसका द्रव्यमान व आवेश (परिमाण में) इलेक्ट्रॉन के बराबर होता है। इसलिए इसे इलेक्ट्रॉन का प्रतिकण भी कहते है। इसकी खोज 1932 में एण्डरसन ने की थी। 

न्यूट्नो (Neutrino) – ये लगभग द्रव्यमान रहित  व आवेश रहित मूल कण है। इसकी खोज 1930 में पाउली ने की थी। न्यूट्रिनो का भी प्रतिकण होता है जिसे ऐण्टिन्यूट्रिनो कहते है।  

कार्बन काल-निर्माण (carbon dating) – इस विधि द्वारा जीवों के अवशेषों की आयु का पता लगाया जाता है। जीवित अवस्था में प्रत्येक जीव (पौधे या जन्तू) कार्नन-14 (एक रेडियोएक्टिव समस्थानिक) तत्व को ग्रहण करता है और मृत्यु के बाद उसका ग्रहण करना बन्द हो जाता है। अत: किसी मृत जीव में कार्बन-14 की सक्रियता को माप करके उसकी मृत्यु से वर्तमान तक के समय की गणना की जाती है।  

यूरेनियम काल-निर्धारण – चट्टान, आदि प्राचीन निर्जीव पदार्थों की आयु को उनमें उपस्थित रेडियोऐक्टिव खनिजों जैसे-यूरेनियम, द्वारा ज्ञात किया जाता है। यूरेनियम काल-निर्धारण की इस विधि ट्वारा चन्द्रमा से लाई गई चूटानों की आयु  (4.6 अरब) वर्ष पाई गई है जो लगभग उतनी ही है जितनी पृथ्वी की है।  

नाभिकोय रिएक्टर (Nuclear Reactor) – यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें यूरेनियम-235 का नियंत्रित विखण्डन कराया जाता है। प्रथम नाभिकीय रिएक्टर वैज्ञानिक ऐनरिको फर्मी के निर्देशन में अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में सन्‌ 1942 में बनाया गया था। नाभिकीय रिएक्टर में विखण्डन को श्रखंला अभिक्रिया को नियंत्रित रखने के लिए केडमियम या बोरॉन की लम्बी छड़ों का उपयोग किया जाता है।  

नाभिकीय विखंडन (Nuclear fission) – जब यूरेनियम-235 पर मंद गति के न्यूट्रॉनों की बमबारी को जाती है तो इसका भारी नाभिक विभकत हो जाता है ओर साथ ही बहुत अधिक उर्जा उत्सर्जित होती है। इस अभिक्रिया को नाभिकीय विखंडन कहते है। परमाणु बम अनियंत्रित नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया पर आधारित है। प्रथम परमाणु बम 1945 में बनाया गया था जिसका विस्फोट द्वितीय विश्व युद्ध में 6 अगस्त, 1945 को जापान के हीरोशिमा तथा दूसरा विस्फोट 9 अगस्त 1945 को  नागासाकी पर किया गया था।  

नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) – जब दो या अधिक हल्के नाभिक संयुक्त होकर एक भारी नाभिक बनाते है तथा अत्यधिक ऊर्जा विमुक्त करते है तो इस अभिक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते है। सूर्य से प्राप्व प्रकाश और उष्मा ऊर्जा का मुख्य खोत नाभिकीय संलयन ही है। हाइड्रोजन लम नाभिकीय संलयन अभिक्रिया पर ही आधारित है। प्रथम हाइड्रोजन बम सन्‌1952 में बनाया गया था। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *