• थियोफ्रेस्टस को वनस्पति विज्ञान का जनक कहा जाता है।
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• वैसा पोधा जिसमें पुष्प तथा बीज नहीं होता, अपुष्पी पौधा कहलाता है। |
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• पादप जगत का सबसे बड़ा समूह थैलोफाइटा है।
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• शेवालों का अध्ययन फाइकोलॉजी कहलाता है।
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• क्लोरेला शैवाल का प्रयोग अनुसंधान कार्यों में किया जाता है।
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• माइक्रोसिस्टिस टॉक्सिका नामक शेैवाल स्वच्छ जल को दुषित करता है।
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• कवकों का अध्ययन माइकोलॉजी कहलाता है।
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• कवकों की कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है।
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• कवकों में संचित भोजन ग्लाइकोजेन तथा बसा के रूप में रहता है।
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• विषाणु के अध्ययन को बाइरोलॉजी कहा जाता है।
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• विषाणु का आकार सामान्यतः .015 से 0.2 माइक्रॉन के बीच होता हे।
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• जन्तु विषाणु के DNA तथा RNA दोनों होता है।
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• पादप विषाणु के केन्द्र में RNA रह हे।
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• जीवाणुओं के अध्ययन को जीवाणु विज्ञान कहा जाता है।
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• जीवाणुओं की खोज सर्वप्रथम ल्यूवेनहॉक ने किया था। क्
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• जीवाणु नाम 1829 में एहरेनवर्ग ने दिया। ।
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• कॉलरा एवं क्षयरोग (T.B) जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न होता है।
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• 1890 में लुई पाश्चर ने रेबीज का टीका की खोज की।
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• दूध के पाश्चूराइजेशन की खोज लुई पाश्चर ने की थी।
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• दूध को 62℃ पर पाश्चुराइज किया जाता है।
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• साधारणत: जीवाणु की कोशिकाभित्ति कार्बोहाइड्रेट्स एवं प्रोटीन की बनी होती है।
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• राइजोबियम दलहनी (लेग्यूम) पौधों के जड़ों में रहता है जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है।
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• लेक्टोबेसिलस एवं स्टैफिलोकोकस दूध से दही बनाने में सहायक होता है।
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• ब्रायोफाइटा मृदा अपरदन को रोकने में सहायता प्रदान करता है।
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• जिम्मोस्पर्म का सबसे छोटा पौधा जैमिया पिग्मिया है।
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• जब बीज फल के अन्दर रहते है तो उन्हे आबृत बीजी कहा जाता हे।
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• फ्लोएम भोज्य पदार्थों को पत्तियों से जड़ों तक पहुँचाता है।
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• एथिलीन फलों को पकाने में सहायक होता है।
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• जाइलम जल को जड़ से पत्तियों तक पहुँचाता है।