मध्यप्रदेश का भौतिक विभाजन (Physical division of Madhya Pradesh)
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मध्यभारत का पठार
• स्थिति – मध्यभारत का पठार मध्यप्रदेश के उत्तर पश्चिम में 24º00′ से 26º48′ उत्तरी अक्षांश तथा 74º50′ से 79º10′ पूर्वी देशान्तर में अवस्थित है।
• क्षेत्रफल – मध्यभारत का पठार मध्यप्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 10.7% है।
• निर्माण – इस पठार का निर्माण मुख्यत: विन्ध्य शैल समूह के अपरदन तथा नदियों के निक्षेपों से हुआ हैं।
• सम्बंधित प्रमुख जिले – नीमच, श्योपुर, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, शिवपुरी
• जलवायु – विषम जलवायु (ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक गर्म, शीत ऋतु में अत्यधिक ठण्ड) पायी जाती है।
• वर्षा – इस क्षेत्र में औसत वर्षा लगभग 50 – 70 सेमी के आसपास होती हैं अर्थात यह अल्प वर्षा वाला क्षेत्र है।
• वन – शुष्क / कटीले पर्णपाती वन पाए जाते है। जैसे- खैर, बबूल, पलाश आदि पाये जाते हैं।
• मिट्टी – जलाढ़ व कछारी मृदा पाई जाती है।
• फसल – प्रमुख फसलें सरसों, ज्वार, तिल, गेहूँ आदि हैं।
• नदियाँ – प्रमुख नदियाँ चम्बल, सिंध, कालीसिंध, पार्वती, क्वाँरी, सीप आदि है।
• विशेष – मध्यभारत के पठार को “सरसों की हांडी’’ कहा जाता है।
बुंदेलखण्ड का पठार
• स्थिति – मध्य भारत के पूर्व में तथा रीवा पन्ना के पठार के उत्तर पश्चिम में स्थित है। इसका विस्तार 24º06′ से 26º22′ उत्तरी अक्षांश तथा 77º51′ से 80º20′ पूर्वी देशान्तर के मध्य है।
• क्षेत्रफल – बुंदेलखंड का पठार मध्यप्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 7.7% है।
• सम्बंधित प्रमुख जिले – दतिया , सागर, अशोक नगर, टीकमगढ़, निवाड़ी, छतरपुर, पन्ना
• जलवायु – ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्म तथा शीत ऋतु में अधिक ठंडी
• वर्षा – औसत वर्षा लगभग 75 – 100 सेमी.
• वन – तेंदूपत्ता, महुआ, बबूल, खैर, नीम आदि पाये जाते हैं।
• मिट्टी – मिश्रित (लाल-काली) मिट्टी पाई जाती है।
• फसल – प्रमुख फसलें गेहूं, ज्वार व तिल आदि।
• नदियाँ – प्रमुख नदियाँ बेतवा, सिंध, धसान, उर्मिल, जामनी आदि।
• खनिज – प्रमुख खनिज हीरा, चूना पत्थर आदि।
• विशेष – बुंदेलखंड की सबसे ऊँची चोटी सिद्ध बाबा की चोटी (1172 मी.) दतिया में स्थित है। बुंदेलखंड की गंगा बेतवा नदी को कहा जाता है।
मालवा का पठार
• स्थिति – मालवा का पठार मध्यप्रदेश के पश्चिम भाग में स्थित है, इसका विस्तार 20º17′ से 25º8′ उत्तरी अक्षांश तक तथा 74º20′ से 79º20′ पूर्वी देशान्तर तक है।
• क्षेत्रफल – मध्यप्रदेश के कुल क्षेत्रफल के लगभग 28 प्रतिशत भाग पर विस्तृत है।
• निर्माण – दक्कन ट्रेप की लावा तथा बेसाल्ट चट्टानों के टूटने से हुआ है।
• सम्बंधित प्रमुख जिले – इंदौर, उज्जैन, देवास, आगर – मालवा, रतलाम, धार, झाबुआ
• जलवायु – सम शीतोष्ण जलवायु (ग्रीष्म ऋतु में साधारण गर्म, शीत ऋतु में साधारण ठण्ड) पाई जाती है।
• वर्षा – इस क्षेत्र में 50 – 75 सेमी. वर्षा होती है।
• वन – शुष्क पर्णपाती वन (बबूल, पलाश, तेंदुपत्ता आदि)
• मिट्टी – काली मिट्टी पाई जाती है।
• फसल – सोयाबीन, कपास, गेहूँ, ज्वार तथा मूँगफली प्रमुख हैं।
• नदियाँ – चम्बल, क्षिप्रा, पार्वती, गंभीर, खान, माही आदि है।
• विशेष – कर्क रेखा मालवा के मध्य से गुजरती है।
मालवा के पठार की सबसे ऊँची चोटी सिगार चोटी(881 मीटर) व अन्य
चोटी जानापाव (854 मीटर), धजारी(810 मीटर) यह तीनों इंदौर जिले में
में स्थित हैं।

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रीवा – पन्ना का पठार
• स्थिति – रीवा पन्ना का पठार बुंदेलखंड के पठार के दक्षिण- पूर्व में , बघेलखंड के पश्चिम में स्थित है। इसका विस्तार 23º10′ से 25º12′ उत्तरी अक्षांश तक तथा 78º4′ से 82º18′ पूर्वी देशान्तर तक है।
• क्षेत्रफल – रीवा-पन्ना के पठार मध्यप्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 10.36 प्रतिशत है।
• निर्माण – रीवा-पन्ना के पठार का निर्माण , विंध्य शैल समूह के अपरदन से हुआ है।
• सम्बंधित प्रमुख जिले – रीवा, पन्ना, कटनी, उमरिया, सतना, दमोह
• जलवायु – ग्रीष्म ऋतु में साधारण गर्म तथा शीत ऋतु में अधिक ठण्डी होती है।
• वन – इस क्षेत्र के वनों में बाँस, तेंदुपत्ता, शीशम, खैर आदि पाये जाते है।
• मिट्टी – मिश्रित मिट्टी पायी जाती है।
• नदियाँ – टोंस, केन, बीहड़, महाना, बिछिया आदि है।
• फसल – गेहूँ , चावल, तिल
• खनिज – चूना-पत्थर, गेरू व हीरा
नर्मदा घाटी
• स्थिति – मालवा तथा रीवा- पन्ना के पठार के दक्षिण में तथा सतपुड़ा श्रेणी के उत्तर में अवस्थित है। इसका विस्तार 22º30′ से 23º45′ उत्तरी अक्षांश तथा 74º से 81º30′ पूर्वी देशान्तर तक है।
• क्षेत्रफल – राज्य के कुल क्षेत्रफल का 26 प्रतिशत है।
• निर्माण – इस घाटी का निर्माण पश्चिम से दक्कन ट्रेप की चट्टानों से तथा पूर्व में धारवाड़ तथा विंध्य क्रम की चट्टानों से हुआ है।
• सम्बंधित प्रमुख जिले – जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, सीहोर, रायसेन
• जलवायु – ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्म व शीत ऋतु में साधारण ठण्ड( इसका पूर्वी क्षेत्र अधिक ठंडा व पश्चिमी क्षेत्र अधिक गर्म होता है)
• वर्षा – इस क्षेत्र में वर्षा की मात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर जाने पर क्रमश: बढ़ती जाती है। इस क्षेत्र की औसत वर्षा 75 – 125 सेमी.
• नदियाँ – नर्मदा, तवा , हिरण, शेर, हथिनी, शक्कर, दूधी इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ है।
• वन – सागौन, साल, तेंदुपत्ता, बाँस आदि।
• फसल – इसके पश्चिम में कपास व मूंगफली , मध्य क्षेत्र में गेहूँ एवं पूर्वी क्षेत्र में चावल का उत्पादन होता है।
• मिट्टी – नर्मदा घाटी के पश्चिम में गहरी काली मिट्टी तथा पूर्वी क्षेत्र में लाल मिट्टी पाई जाती है।
• खनिज – चूना पत्थर, संगमरमर, चीनी, मिट्टी आदि।
• विशेष – नर्मदा घाटी क्षेत्र को कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है।
यह म.प्र. का सबसे निचला प्राकृतिक विभाग है।

• स्थिति – सतपुड़ा मैकाल श्रेणी नर्मदा घाटी के दक्षिण में समानांतर स्थित है।
इसका विस्तार 21º30′ से 23º उत्तरी अक्षांश तथा 74º30′ से 81º पूर्वी देशांतर तक है।
• क्षेत्रफल – मध्यप्रदेश का लगभग 11 प्रतिशत है।
• जलवायु – ग्रीष्म ऋतु में साधारण गर्म, शीत ऋतु में अधिक ठंडा
• निर्माण – दक्कन ट्रेप की चट्टानों के साथ- साथ धारवाड़ क्रम की चट्टानों से हुआ है।
• सम्बंधित प्रमुख जिले – बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, खंडवा, खरगौन, बुरहानपुर, बड़वानी
• वर्षा – पश्चिम से पूर्व की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा बढ़ती जाती है। इस क्षेत्र के पश्चिमी भाग में लगभग 75 सेमी और पूर्वी भाग में 150 सेमी. तक वर्षा होती है।
• नदियाँ – इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ ताप्ती, बैनगंगा, शक्कर, दूधी, पेंच,वर्धा, बावनथड़ी है।
• मिट्टी – इस क्षेत्र में छिछली काली व लेटेराइट मिट्टी की अधिकता है।
पूर्वी पठार या बघेलखंड का पठार
• स्थिति – म.प्र. के पूर्वी भाग में स्थित है व इसका अक्षांशीय विस्तार 23º40′
से 24º35′ उत्तरी अक्षांश तथा 80º05′ से 82º35′ पूर्वी देशान्तर तक है।
• क्षेत्रफल – लगभग 7 प्रतिशत है।
• निर्माण – आद्य महाकल्प के शैल समूहों से हुआ है।
• सम्बंधित प्रमुख जिले – सिंगरौली, सीधी, रीवा, शहडोल
• जलवायु – ग्रीष्म ऋतु में साधारण गर्म व शीत ऋतु में अधिक ठंडी
• वर्षा – म.प्र. में सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है। यहाँ लगभग 125 – 140 सेमी. वर्षा होती है।
• नदियाँ – सोन, जोहिला, बनास, गापद आदि है।
• मिट्टी – लाल- पीली मिट्टी पाई जाती है।
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