मध्यप्रदेश की जनजातियां Tribes of Madhya Pradesh

प्रमुख बिंदु | अनुसूचित जाति ( SC) | अनुसूचित जनजाति ( ST) |
संविधान में परिभाषित | अनुच्छेद 366 (24) | अनुच्छेद 366 (25) |
संविधान में वर्णित | अनुच्छेद 341 | अनुच्छेद 342 |
मध्यप्रदेश में जनसंख्या | 13% | 21% |
सर्वाधिक जनसंख्या | इंदौर जिला | धार जिला |
न्यूनतम जनसंख्या | झाबुआ जिला | भिंड जिला |
• मध्यप्रदेश में जनसंख्या के आधार पर जनजातीय क्रम भील, गोंड व कोल है ।
• मध्यप्रदेश में क्षेत्रफल आधारित सबसे बड़ा जनजाति समूह गोंड है ।
भील जनजाति
विस्तार – पश्चिमी मध्यप्रदेश, मालवा व निमाड़ क्षेत्र, धार, झाबुआ, अलीराजपुर
उपजातियाँ – भिलाला, कलिया, उजला, तड़वी (इस्लाम धर्म को मानने वाले भील)
विवाह एवं उत्सव – भगोरिया
प्रमुख देवता – राजपंथा, भिलाला
प्रमुख नृत्य – भगोरिया
विशेष –
• मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति (जनसंख्या आधारित ) है ।
• इनकी झूम कृषि “चिमाता’’ कृषि के नाम से जानी जाती है ।
• इनका प्रिय पदार्थ ताड़ी व रबड़ी है ।
• ये गहना प्रिय जनजाति है ।
भगोरिया उत्सव:- मालवा क्षेत्र के 20 स्थानों पर होली के समय 7 दिन के लिए आयोजित होता है।इसके क्रमश: तीन चरण गुलालिया, गोल गधेड़ो व उजाडि़या होते हैं ।
• “ द भील पुस्तक ’’ के लेखक टी. व्ही. नायर है ।
• ये जनजाति नंदना प्रिंट कपड़ों का प्रयोग करती है ।
• गवरी भीलों का प्रमुख लोक नाट्य है ।
• जोबट (अलीराजपुर) के भील पंजा दरी का निर्माण करते है ।
गोंड जनजाति
विस्तार – इस जनजाति का विस्तार नर्मदा घाटी के दोनों ओर मिलता है ।

विवाह पद्धति – दूध लौटावा
प्रमुख देवता – बड़ा देव, नारायण देव, लोहासुर (आगरिया के देवता)
प्रमुख नृत्य – सैला, गेड़ी, कर्मा
विशेष –
• गोंड मध्यप्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है ।
• मध्यप्रदेश में क्षेत्रफल आधारित सबसे बड़ा जनजाति समूह है ।
• 2019 में गोंडी भाषा को म.प्र. पाठ्य पुस्तक निगम में शामिल किया गया है ।
• इनका मोहल्ला “टोला’’ कहलाता है ।
• ये गुदना प्रिय जनजाति है ।
घोटुल प्रथा
यह प्रथा आदिवासियों की समृद्ध परम्परा का एक रूप है, जिसे स्थानीय भाषा में चेलिक – मोटियारी कहा जाता है, इसमें युवक व युवती एक – दूसरे के साथ मिल कर भावी जीवन की रूपरेखा तकय करते है ।
- ये टॉपिक भी पढ़ें:-
- मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्य
- मध्यप्रदेश का पुनर्गठन 1947-2023
- मध्यप्रदेश का भौतिक विभाजन
- मध्यप्रदेश के पर्वत
- मध्यप्रदेश की भू-गार्भिक संरचना
- मध्यप्रदेश की नदियां
- मध्यप्रदेश के बाँध / परियोजनाएं
- मध्यप्रदेश के जलप्रपात
- मध्यप्रदेश की प्रमुख झीलें
- मध्यप्रदेशकी मिट्टीयाँ
कोल जनजाति
विस्तार – सीधी, सिंगरौली, शहडोल
उपजातियाँ – रोहिया, रौतेला
विवाह पद्धति – हिन्दु प्रथानुसार
प्रमुख देवता – ठाकुर देव , सूर्य देव
प्रमुख नृत्य – कोल देहका
विशेष –
• कोल मध्यप्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी जनजाति है ।
• पंचायत को “ गोहिया’’ कहा जाता है ।
• पंचायत के मुखिया को “मुकहम’’ कहा जाता है ।
• इनकी अर्थव्यवस्था कोयला की खानों पर निर्भर है ।
सहरिया
विस्तार – उत्तरी म.प्र. के श्योपुर, ग्वालियर व शिवपुरी क्षेत्र में
विवाह पद्धति – हिन्दु प्रथानुसार
प्रमुख देवता – सीता माता, भैरव देव
प्रमुख नृत्य – लहँगी, रागिनी, दुलदुलघोड़ी
विशेष –
• सहरिया सर्वाधिक कुपोषित जनजाति है ।
• इनका मोहल्ला / घर “सहराना’’ कहलाता है ।
भारिया
विस्तार – पातालकोट (छिंदवाड़ा)
उपजातियाँ – भूमिया, भुइहरा
विवाह पद्धति – लमसेना, दूध लौटावा
प्रमुख देवता – बूढ़ादेव, नागदेव
प्रमुख नृत्य – भड़म, सेतम

बैगा जनजाति
विस्तार – बालाघाट, मंडला, डिंडोरी
उपजातियाँ – रायमैना, काठमैना, नरोतिया, भरोतिया
विवाह पद्धित – लमसेना
प्रमुख नृत्य – परधौनी, कर्मा(गिनीज बुक रिकॉर्ड में शामिल),
सजनी – दीवानी व विमला नृत्य
विशेष –
• इनकी झूम कृषि “दाहिया’’ अथवा “बेबर’’ कहलाती है ।
• “द बैगा’’ पुस्तक के लेखक “बेरियर एल्विन’’ है ।
- ये टॉपिक भी पढ़ें:-
- मध्यप्रदेश की कृषि
- मध्यप्रदेश के वन संसाधन
- मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव अभ्यारण्य
- मध्यप्रदेश की जलवायु
- मध्यप्रदेश की जनजातियां
- मध्यप्रदेश के ऊर्जा संसाधन
- मध्यप्रदेश के खनिज संसाधन
- मध्यप्रदेश के उद्योग
- मध्यप्रदेश राज्य नीति एवं योजना आयोग
- मध्यप्रदेश की लोक कल्याणकारी योजनाऐं
- मध्यप्रदेश की पंचवर्षीय योजनाऐं
- मध्यप्रदेश की जनसंख्या परिदृश्य
- मध्यप्रदेश की पुलिस व्यवस्था

खैरवार
• ये कत्था बनाने वाली जनजाति है ।
• इनका विस्तार ग्वालियर, शिवपुरी व कैमूर पहाड़ी पर है ।
शोर
• इनका विस्तार टीकमगढ़, छतरपुर, शिवपुरी, सागर, श्योपुर पर है ।
बंजारा
• ये घुमन्तु जनजाति है।
• ये विशेषत: मध्यप्रदेश की सीमा पर पायी जाने वाली जनजाति है।
• इनके प्रमुख नृत्य तलवार, कालबेलिया व तांडा है ।
• कंघी आविष्कार का श्रेय बंजारा जनजाति को दिया जाता है।
• ये सर्वाधिक श्रृंगार प्रिय जनजाति है ।
कोरकू
• विस्तार – बैतूल, खंडवा, होशंगाबाद
• प्रमुख नृत्य – चटकोरा
• प्रमुख देवता – मेघनाथ, चन्द्रमा
• पर्व / त्यौहार – मढ़ई (दीवाली के समय) व झंड़ा (मेघनाथ) होली के समय मनाया जाता है ।

पारधी
• पारधी जनजाति रायसेन, भोपाल क्षेत्र में निवासरत हैं । ये जनजाति बादशाह अकबर के समय शिकारी जनजाति है ।
पनिका
•पनिका जनजाति अनूपपुर, शहडोल और उमरिया क्षेत्र में निवासरत हैं। ये कबीर पंथी जनजाति है जो कपड़े बुनने का कार्य करती है।
हल्बा
• हल्बा जनजाति बालाघाट, मंडला, डिंडोरी क्षेत्र में निवासरत हैं।
उरांव
• मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ की सीमा में पायी जाने वाली जनजाति है । इनका प्रमुख नृत्य सरहुल है।
मुडि़या
• मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ की सीमा में पायी जाने वाली जनजाति है । इनका प्रमुख नृत्य गौर है ।
क्वांर
• क्वांर जनजाति सीधी, शहडोल क्षेत्र में निवासरत है । इनका प्रमुख नृत्य बार है ।
peb home page, mp esb, cgvyapam, peb mponline, mp peb, peb mp, madhya pradesh professional examination board,esb, peb, vyapam, mp vyapam, mppeb, mppsc, mp professional examination board, mp peb gov in, mppsc mponline, peb home, mp peb in, peb online,
- ये टॉपिक भी पढ़ें:-
- म.प्र. में कला व संस्कृति से जुड़ी संस्थायें
- मध्यप्रदेश के प्रमुख समारोह
- मध्यप्रदेश के प्रमुख संग्रहालय
- मध्यप्रदेश के प्रमुख मेले
- मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्व व उत्सव
- मध्यप्रदेश के लोक नृत्य /नाट्य / गायन
- मध्यप्रदेश की शिल्पकला
- मध्यप्रदेश का साहित्य
- मध्यप्रदेश का खेल परिदृश्य
- मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य
- मध्यप्रदेश में शिक्षा
- मध्यप्रदेश में पर्यटन स्थल
- मध्यप्रदेश में प्रमुख व्यक्तित्व
- मध्यप्रदेश में संचार व्यवस्था व पत्रिकाएँ
- मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध स्थलों के उपनाम
- मध्यप्रदेश में प्रथम
- मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा , छोटा
- प्रशासनिक भवन के नाम व स्थिति
- All Districts of MP
मध्यप्रदेश जनजातीय व्यक्तित्व
पेमा फत्या भील:-
अलीराजपुर जिले के पेमा फत्या पिथौरा चित्रकला के श्रेष्ठ चित्रकार थे। 2020 में इनका निधन हो गया है ।
रानी अवंतीबाई:-
रानी अवंतीबाई का जन्म 16 अगस्त 1831 को सिवनी जिले के मनखेड़ी ग्राम में राव जुझारसिंह लोधी के घर हुआ था। रानी अवंतीबाई का विवाह रामगढ़ के राजा विक्रमादित्य से हुआ था। 1858 में रानी अवंतीबाई और वैलिंग्टन के मध्य युद्ध हुआ था। रानी ने अंग्रेजों के हाथ लगने के बजाए अपनी तलवार से देश के लिए आत्मदान कर दिया।
भीमा नायक
भीमा नायक का जन्म वर्ष 1840 में पश्चिमी निमाड़ (खरगौन) रियासत के पंचमोहाली गाँव में हुआ था। 1857 में भीमा नायक ने सेंधवा बड़वानी से विद्रोह किया। भीमा नायक को बाद में अंग्रेजों ने गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया और अंडमान निकोबार में इन्हें फांसी दे दी गई।
खाज्या नायक
खाज्या नायक का जन्म वर्ष 1830 में निमाड़ में हुआ था। खाज्या नायक ने अंग्रेजों की नौकरी छोड़कर भीमा नायक के साथ भीलों की टोलियों को संगठित किया। खाज्या और भीमा की जोड़ी ने 1857 की क्रांति में अंग्रजों के विरूद्ध युद्ध छेड़ दिया । कर्नल आउट्रम ने खाज्या को बंदी बनाकर हत्या करवा दी।
टंट्या भील
टंट्या भी का जन्म 1842 में पश्चिमी निमाड़ (खरगौन जिले) में हुआ था। टंट्या भील को अंग्रेजी द्वारा 1888 में फांसी दे दी गई । इन्हें आदिवासियों को रॉबिनहुड भी कहा जाता है। इनका समाधि स्थल पातालपानी
(इंदौर) जिले में स्थित है।
रानी दुर्गावती
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल चंदेल से यहां हुआ था। दुर्गाष्टमी के दिन जन्म होने के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। इनका विवाह गोंड शासक दलपत शाह से हुआ था। 1564 में आसफ खान ने गोंडवाना पर हमला बोल दिया। इस युद्ध में रानी दुर्गावती ने खुद सेना का मोर्चा संभाला ।
झलकारी बाई
झलकारी बाई का जन्म झाँसी के भोजला गाँव में हुआ था। झलकारी बाई, रानी लक्ष्मी बाई की अंग रक्षिका थी। झलकारी बाई की 14 फीट की प्रतिमा भोपाल में 2017 को स्थापित की गई है।
बादल भोई
बादल भोई का जन्म डुंगरिया जिला छिंदवाड़ा में 1845 को हुआ था। मध्यप्रदेश में बादल भोई की तरह भीमा भोई और हुल्ली भोई भी महान संग्राम सेनानी हुए हैं। बादल भोई आदिवासी संग्रहालय छिंदवाड़ा में स्थित है।
अमृतलाल विट्ठलदास ठक्कर
अमृतलाल विट्ठलदास ठक्कर गुजरात के भावनगर में जन्में, इन्हे आदिवासियों का मसीहा कहा जाता है । जनजातीय लोगों के उत्थान के लिए इन्होने कार्य किया। उन्हें प्राय: “ठक्कर बापा’’ के नाम से जाना जाता है। ये भारतीय संविधान सभा के भी सदस्य थे तथा वर्ष 1905 में गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा “सर्वेन्ट्स ऑफ इंदिया सोसायटी’’ के सदस्य बने ।
गिरधारी बाई
गिरधारी बाई गढ़ मंडला की शासिका रानी अवंतीबाई की अंगरक्षिका थी। गिरधारी बाई की समाधि मध्यप्रदेश के मंडला जिले में स्थित है।
जोधईया बाई
उमरिया जिले से सम्बंधित बैगा जनजाति की जोधईया बाई आदिवासी चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है ।
peb home page, mp esb, cgvyapam, peb mponline, mp peb, peb mp, madhya pradesh professional examination board,esb, peb, vyapam, mp vyapam, mppeb, mppsc, mp professional examination board, mp peb gov in, mppsc mponline, peb home, mp peb in, peb online,