मध्यप्रदेश के वन संसाधन Forest Resources of Madhya Pradesh
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उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन | उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन |
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• आवश्यक वर्षा – 75 से 100 सेमी. | • आवश्यक वर्षा – 100 से 150 समी. |
• सर्वाधिक क्षेत्र में पाये जाने वाले वन हैं। | • इस वन की आधी प्रजाति के वृक्ष बंसत आगमन पर पतझड़ प्रक्रिया में भाग लेते हैं। |
• इस वन की सभी वृक्षों की प्रजातियाँ पतझड़ प्रक्रिया में भाग लेती है। | • इसकी प्रजातियाँ साल, बाँस, महुआ,सागौन, शीशम व हर्रा आदि। |
• वृक्षों की प्रजातियाँ – सागौन, शीशम, नीम, पीपल आदि। | • क्षेत्र – पूर्वी मध्यप्रदेश – बालाघाट, अनूपपुर, शहडोल आदि। |
• क्षेत्र – होशंगाबाद, बैतूल, छिन्दवाड़ा, सागर आदि । | |
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उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन
• आवश्यक वर्षा – 50 से 75 सेमी.
• कटीले प्रजाति के वृक्ष – खैर, बबूल, पलाश व बैर ।
• क्षेत्र – मुरैना, ग्वालियर, रतलाम , मंदसौर ।
• ये वन कम वर्षा प्राप्ति के कारण कांटेदार व छोटी पत्ती वाले होते हैं ।

प्रजातियों के आधार पर वन

सागौन वन
• इसका वानस्पतिक नाम “टेक्टोना ग्रान्डिस’’ है।
• मध्यप्रदेश में सागौन के वन कुल वन क्षेत्रफल के 17.8 प्रतिशत भाग पर पाये जाते हैं।
• सागौन वन बालाघाट , मंडला , होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाड़ा जिलों में पाए जाते हैं ।
साल वन
• इसका वानस्पतिक नाम “शोरिया रोबस्टा’’ है ।
• प्रदेश के कुल वन क्षेत्र के 16.54 प्रतिशत भाग पर साल वन पाये जाते हैं ।
• साल वन मंडला, बालाघाट, उमरिया, सीधी, शहडोल, में अपना विस्तार रखते हैं ।
बाँस वन
• इसका वानस्पतिक नाम बम्बूसोइड / डेंड्रोकेलैमस है।
• बाँस वन बालाघाट, उमरिया, सतना में अपना विस्तार रखते हैं ।
मिश्रित वन
• ये वन मुख्यत: तेंदू, महुआ, पलास, बबूल, खैर आदि वनोपज पैदा करते हैं ।
• ये वन मुख्यत: बालाघाट, होशंगाबाद, मंडला एवं छिंदवाड़ा जिलों में पाये जाते हैं ।

प्रमुख वन उत्पाद
सागौन –
• म.प्र. में सर्वाधिक क्षेत्र में पाया जाने वाले वृक्ष 17.8 प्रतिशत ।
• बोरी घाटी (हरदा- होशंगाबाद) में सर्वाधिक सघनता पायी जाती है।
साल –
• म.प्र. में दूसरे सर्वाधिक पाए जाने वाले वृक्ष हैं।
• पूर्वी म.प्र. में सर्वाधिक पाए जाते हैं।
बाँस –
• म.प्र. में बाँस सर्वाधिक बालाघाट जिले में पाए जाते हैं।
• बाँस की प्रजाति बाल्कोवा सतना, उमरिया में पायी जाती हैं।
• बाँस ट्रीटमेंट प्लांट सतना जिले में स्थापित किया गया हैं।
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तेन्दुपत्ता –
• भारत में तेन्दुपत्ता उत्पादन में म.प्र. का पहला स्थान हैं।
• तेन्दुपत्ता का उपयोग बीड़ी उद्योग में किया जाता हैं।
• सागर, जबलपुर, उमरिया में सर्वाधिक पाए जाते हैं।
लाख –
• लाख कीट सर्वाधिक बेर, पलाश, कुसुम के वृक्षों पर पाया जाता हैं।
• लाख कीट का नाम “लेसिफर लक्का’’ है।
• उमरिया में लाख का सरकारी कारखाना है।
• लाख का उपयोग चूड़ी उद्योग में किया जाता है।
खैर –
• शिवपुरी व मुरैना (बाणमौर) में कत्था बनाने का कारखाना है।
हर्रा –
• छिन्दवाड़ा, मंडला क्षेत्रफल में पाया जाता है।
• त्रिफला (हर्रा, बहेड़ा व आँवला का मिश्रण) जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर आयुर्वेदिक औषधि में किया जाता है।
महुआ-
• इसका वानस्पतिक नाम “मधुका लोंगीफालिया’’ है।
• म.प्र. के बालाघाट, छिन्दवाड़ा, होशंगाबाद जिलों में पाया जाता है।
• इसका उपयोग कच्ची शराब (गपई) व औषधि बनाने में किया जाता है।
गोंद –
• बबूल, अचार, कुसुम आदि से प्राप्त की जाती है।
• क्षेत्र – छिंदवाड़ा, बालाघाट, झाबुआ, शिवपुरी आदि ।
• सामान्यत: म.प्र. में दो प्रकार की गोंद पाई जाती है।
1. अरेबिक गोंद – खाने योग्य, मिठाई में उपयोग ।
2. कूल्लू गोंद – बेकरी उद्योग में केक व पेस्ट्री बनाने में उपयोग ।
भिलाला (भिलमा) –
• भिलाला का उपयोग स्याही (इन्क) बनाने में किया जाता है।
• भिलाला से स्याही बनाने का कारखाना छिंदवाड़ा में स्थित है।
रेशम –
• म.प्र. में मलबेरी (मंडला में), टसर (बैतूल में) , ईरी (सिवनी में) पायी जाने वाली रेशम की प्रजाति है।
म.प्र. की वन संबंधी योजनाऐं व पुरस्कार
• पहली वन नीति 1952 व नई वन नीति 2005 में प्रारम्भ की गयी।
• पंचवन योजना 1976 -77 इस योजना के तहत प्रत्येक जिले में 33% वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया है।
• एकलव्य शिक्षा विकास योजना- तेन्दूपत्ता संग्रहणकर्ता के बच्चों की शिक्षा से सम्बंधित ।
• चरणपादुका योजना 2017 – तेन्दूपत्ता संग्रहणकर्ता से सम्बंधित ।
• बसामन मामा वन संरक्षण पुरस्कार – वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है ।
• वन प्रहरी पुरस्कार – अग्नि रोधक कार्य करने के लिए दिया जाता है ।
• अमृता देवी विश्र्नोई पुरस्कार – वन व वन्य जीव संरक्षण के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है।
राज्य के प्रमुख वन संस्थान व केंद्र
1. भारतीय वन प्रबंध संस्थान – भोपाल
2. संजीवनी संस्थान – भोपाल
3. वन विकास निगम – भोपाल
4. म.प्र. ईको- पर्यटन विकास बोर्ड– भोपाल
5. भारतीय वन अनुसंधान संस्थान – जबलपुर
6. उष्णकटिबंधीय वन संस्थान – जबलपुर
7. जड़ी बूंटी बैंक – पचमढ़ी
8. जैव विविधता प्रशिक्षण केन्द्र – ताला (उमरिया)
Important Points:-
• म.प्र. में सर्वाधिक वन – 1) बालाघाट, 2) छिन्दवाड़ा में पाए जाते हैं।
• म.प्र. में न्यूनतम वन – 1) उज्जैन, 2) शाजापुर में पाए जाते हैं।
• म.प्र. में कुल वन वृत्त – 16
• म.प्र. का सबसे बड़ा वन वृत्त – खंडवा
• म.प्र. का सबसे छोटा वन वृत्त – होशंगाबाद
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