मध्यप्रदेश के लोक नृत्य /नाट्य / गायन Folk Dance / Play / Songs in Madhya Pradesh
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मध्यप्रदेश के लोक नृत्य

निमाड़ क्षेत्र के लोकनृत्य
काठी
• क्षेत्र – निमाड़
• अवसर – देव प्रबोधनी एकादशी से महाशिवरात्रि तक
• नृत्य शैली – सामूहिक नृत्य
गणगौर
• क्षेत्र – निमाड़
• अवसर – चैत्र मास
• नृत्य शैली – सामूहिक नृत्य शैली
माण्डल्या
• क्षेत्र – निमाड़
• अवसर – विवाह व अन्य शुभ अवसर पर
• नृत्य शैली – महिला प्रधान सामूहिक नृत्य
फेफारिया
• क्षेत्र – निमाड़
• अवसर – विवाह के अवसर पर
• नृत्य शैली – सामूहिक नृत्य
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- मध्यप्रदेश का खेल परिदृश्य
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- मध्यप्रदेश में शिक्षा
- मध्यप्रदेश में पर्यटन स्थल
- मध्यप्रदेश में प्रमुख व्यक्तित्व
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मालवा क्षेत्र के लोक नृत्य
मटकी
• क्षेत्र – मालवा
• अवसर – विवाह के अवसर पर
• नृत्य शैली – महिला प्रधान, एकल एवं सामूहिक नृत्य
रजवाड़ी
• क्षेत्र – मालवा
• अवसर – विवाह एवं पर्व त्यौहार
• नृत्य शैली – महिला प्रधान सामूहिक नृत्य
बुंदेलखंड क्षेत्र के लोक नृत्य
राई (म.प्र. का राजकीय नृत्य)
• क्षेत्र – बुंदेलखंड
• अवसर – विवाह एवं पर्व त्यौहार
• नृत्य शैली – मृदंग वाद्य यंत्र के साथ तेज गति में नृत्य बेडि़या जाति द्वारा किया जाता है ।
• राई के कलाकार – ज्ञानेश्वरी (कटनी)
भगोरिया
• क्षेत्र – मालवा अंचल में 20 स्थानों पर, झाबुआ एवं अलीराजपुर , भील जनजातीय क्षेत्र
• अवसर – होली
• नृत्य शैली – महिला – पुरूष प्रधान सामूहिक नृत्य
आड़ा – खड़ा
• क्षेत्र – मालवा/निमाड़
• अवसर – विवाह, जन्म, मुंडन संस्कार
• नृत्य शैली – महिला प्रधान सामूहिक नृत्य
राई नृत्य बुंदेलखंड और बघेलखंड दोनों में होता है, बुंदेलखंड के राई नृत्य में वाद्य यंत्र मृदंग व बघेलखंड में ढोलक का प्रयोग होता है ।
बधाई
• क्षेत्र – बुंदेलखंड
• अवसर – विवाह एवं शुभ अवसर पर
• नृत्य शैली – पुरूष महिला के वेश में नृत्य करते है ।
ढिमराई
• क्षेत्र – बुंदेलखंड
• अवसर – विवाह एवं नवदुर्गा
• नृत्य शैली – नर्तक द्वारा कत्थक शैली
सैरा
• क्षेत्र – बुंदेलखंड
• अवसर – तीज के अवसर पर
• नृत्य शैली – पुरूष प्रधान सामूहिक नृत्य
कानड़ा
• क्षेत्र – बुंदेलखंड
• अवसर – विवाह एवं पर्व त्यौहार
• नृत्य शैली – लौटा व ढोलक वाद्य यंत्रों से तीव्र गति से नृत्य करते हैं ।
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बघेलखंड क्षेत्र के लोक नृत्य
दादर
• क्षेत्र – बघेलखंड
• अवसर – शुभ अवसर पर
• नृत्य शैली – पुरूष महिला वेश में नृत्य करते है ।
सुआ
• क्षेत्र – बघेलखंड
• अवसर – खरीफ की फसल पकने पर
• नृत्य शैली – सिर पर कलश रखकर नृत्य
कर्मा नृत्य गोंड व बैगा जनजाति का प्रमुख लोक नृत्य है । मंडला के गांधी मैदान में 3050 स्कूली छात्र- छात्राओं ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए कर्मा नृत्य प्रस्तुत किया था ।
बिरहा
• क्षेत्र – बघेलखंड
• अवसर – विवाह एवं शुभ अवसर
• नृत्य शैली – पुरूषों द्वारा तीव्र लय में नृत्य किया जाता है ।
कलसा –
• क्षेत्र – बघेलखंड
• अवसर – बारात के आगमन पर
• नृत्य शैली – सिर पर कलश रखकर नृत्य किया जाता है ।
बैगा जनजाति द्वारा
नृत्य | क्षेत्र |
करमा | मंडला , बालाघाट |
परधौनी | मंडला, बालाघाट |
रीना | मंडला, बालाघाट |
विमला | मंडला, बालाघाट |
सजनी दीवानी | मंडला, बालाघाट, डिंडोरी |
कोरकू जनजाति द्वारा
नृत्य | क्षेत्र |
चटकोरा | बैतूल, होशंगाबाद |
ढांढल | बैतूल, होशंगाबाद |
भारिया जनजाति द्वारा
नृत्य | क्षेत्र |
भड़म | छिंदवाड़ा, जबलपुर |
सैतम | छिंदवाड़ा, जबलपुर |
गोंड जनजाति द्वारा
नृत्य | क्षेत्र |
करमा | मंडला, बालाघाट |
सैला | छिंदवाड़ा, बालाघाट |
गेड़ी | छिंदवाड़ा , मंडला, बालाघाट |
गोंचो | मंडला, बालाघाट |
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सहरिया जनजाति द्वारा
नृत्य | क्षेत्र |
रागिनी | श्योपुर, ग्वालियर, शिवपुरी |
लेहंगी | ग्वालियर, श्योपुर, शिवपुरी |
दुलदुल घोड़ी | ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना |
मुडि़या जनजाति द्वारा
नृत्य | क्षेत्र |
गौर | अनूपपुर, शहडोल |
पंडवानी | अनूपपुर, शहडोल |
मध्यप्रदेश के लोकगायन

निमाड़ क्षेत्र के लोकगायन
संत सिंगाजी भजन
• क्षेत्र – निमाड़ अंचल
• गायन शैली – उच्च स्वर में एकल एवं समूह गायन शैली
• अवसर – शुभ अवसर पर
• विषय वस्तु – गृहस्थ जीवन, कृषि व पशुपालन से सम्बंधित गायन
निरगुणिया गायन शैली
• क्षेत्र – संपूर्ण निमाड़ अंचल
• गायन शैली – एकल एवं समूह शैली
• अवसर – किसी भी अवसर पर साधु एवं भिक्षुकों के द्वारा गाया जाता है ।
• विषय वस्तु – कबीर, मीरा आदि संतों के भक्ति पदों का गायन
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मसाण्या गीत
• क्षेत्र – संपूर्ण निमाड़ अंचल में
• गायन शैली – समूह गायन
• अवसर – मृत्यु पर
• विषय वस्तु – आत्मा की अमरता
कलगी तुर्रा
• क्षेत्र – संपूर्ण निमाड़ अंचल में
• गायन शैली – वाद विवाद लोक गायन शैली है ।
• अवसर – रात के समय गाए जाने वाले लोकगीत है ।
• विषय वस्तु – घटनाओं पर आधारित
• प्रमुख उस्ताद – सुमेरसिंह व मंसाराम
मालवा क्षेत्र के लोकगायन
भरथरी
• क्षेत्र – मालवा
• अवसर – प्रात:काल
• विषयवस्तु – राजा भरथरी व रानी पिंगला का वियोग वर्णन
• गायन शैली – एकल व सामूहिक गायन
हीड़ गायन
• क्षेत्र – मालवा अंचल में
• अवसर – श्रावण के महीने में
• विषय वस्तु – ग्यारस माता की कथा तथा कृषि संस्कृति का सूक्ष्म वर्णन
• गायन शैली – एकल व सामूहिक गायन
संजा गीत
• क्षेत्र – मालवा अंचल में
• अवसर – पितृ पक्ष में शाम के समय
• विषय वस्तु – गोबर एवं फूल पत्तियों से दीवार पर संजा बनाकर
• गायन शैली – महिला प्रधान सामूहिक गायन शैली
मोपे गायन
• क्षेत्र – मालवा अंचल में
• अवसर – बसंत पंचमी पर
• विषय वस्तु – सरस्वती की आराधना
• गायन शैली – सामूहिक
बुंदेलखंड क्षेत्र के लोकगायन
भोला / बम्बुलिया / लमटेरा गीत
• क्षेत्र – बुंदेलखंड में
• अवसर – शिवरात्रि, बसंत पंचमी एवं मकर संक्रांति के समय
• विषय वस्तु – शिव एवं शक्ति की भक्ति से संबंधित भजन गीत
• गायन शैली – बिना वाद्य यंत्र के स्त्री-पुरूष में प्रश्नोत्तर शैली में
आल्हा गायन
- आल्हा और ऊदल बुन्देलखंड के महोबा के वीर योद्धा थे।
- जगनिक नाम के एक कवि ने आल्हा खण्ड नामक एक काव्य रचा था उसमें इन वीरों की गाथा वर्णित है ।
- इस ग्रंथ में दों वीरों की 52 लड़ाइयों का वीर रस प्रधान वर्णन है ।
- अंतिम लड़ाई उन्होंने पृथ्वी राज चौहान के साथ लड़ी थी ।
- यह विश्व की सबसे लम्बी कविता मानी जाती है ।
आल्हा गायन
• क्षेत्र – बुंदेलखंड में मुख्य रूप से (विश्व का सबसे लम्बा गायन)
• अवसर – प्राय: वर्षा ऋतु में रात के समय
• विषय वस्तु- वीर रस प्रधान, महोबा के आल्हा एवं उदल की वीर गाथा
• गायन शैली – एकल एवं सामूहिक गायन शैली उच्च स्तर सहित
• प्रसिद्ध आल्हा गायक – बच्चा सिंह, चन्द्रभान प्रसिद्ध
बेरायता गायन
• क्षेत्र – बुंदेलखंड में
• अवसर – धार्मिक त्योहारों के अवसर पर रात के समय गाया जाता है ।
• विषय वस्तु – महाभारत की कथाएं
• गायन शैली – संवाद कथा गायन शैली
फाग गायन
• क्षेत्र – बुंदेलखंड
• अवसर – मुख्यत: होली
फाग गायन

बघेलखंड क्षेत्र के लोकगायन
बिरहा
• क्षेत्र – बघेलखंड में
• अवसर – सुनसान जगह पर किसी ऊँचे टीले पर बैठकर दीवाली के समय
• विषय वस्तु – श्रृंगार विरह गीत
• गायन शैली – सवाल- जवाब गायन शैली
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बसदेवा गायन/ हरबोले गीत
• क्षेत्र – बघेलखंड में
• अवसर – हरबोले जाति द्वारा अपने यजमान के समक्ष दिन में गाया जाता है ।
• विषय वस्तु – श्रवण कुमार की कथा, रामायण कथा, कर्ण कथा आदि ।
• गायन शैली – सामूहिक गायन शैली
• तीजन बाई का जन्म दुर्ग जिला, छत्तीसगढ़ में हुआ है ।
• ये पंडवानी गीत के लिए प्रसिद्ध है ।
• इन्हें पद्मश्री (1987-88), पद्मभूषण (2003) व पद्मविभूषण (2019) पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ।
पंडवानी गीत
• क्षेत्र – शहडोल, अनूपपुर एवं बालाघाट
• अवसर – अधिकतर शाम के समय आयोजित किया जाता है ।
• विषय वस्तु – पांडवों की कथा का वर्णन किया जाता है ।
• गायन शैली – उच्च स्वर सहित कथा गायन शैली
• पंडवानी के प्रसिद्ध गायक – तीजन बाई, झाडू देवगन, मंजू रामटेके
घोटूल पाटा गीत
• क्षेत्र – मुडि़या आदिवासी क्षेत्रों में
• अवसर – मृत्यु के अवसर पर
• विषय वस्तु – आत्मशांति के लिए
• गायन शैली – बुजुर्गों द्वारा सामूहिक कथा गायन शैली
देवारी गायन
• क्षेत्र – बघेलखंड व सतपुड़ा
• गायन शैली – दोहा गायन कृष्ण भक्ति पर आधारित
• प्राय: अहीर, यादव, ग्वाल जाति द्वारा गाया जाता है ।
मध्यप्रदेश के लोकनाट्य

निमाड़ क्षेत्र के लोकनाट्य
गम्मत
• क्षेत्र – निमाड़ अंचल
• अवसर – नवरात्रि, होली एवं गणगौर के पर्व पर
• विषय वस्तु – हास्य और व्यंग समसामयिक घटनाओं पर आधारित
• गम्मत के कलाकार – सुनिल पांडे, ओंकार साहू
खम्बस्वांग
• क्षेत्र – सतपुड़ा, निमाड़
• अवसर – होली के समय
• विषय वस्तु – कोरकू जनजाति द्वारा खंबा लगाकर मेघनाथ की पूजा की जाती है ।
मालवा क्षेत्र के लोकनाट्य
माच
• राजकीय नाट्य – माच को प्रदेश सरकार ने राजकीय नाटक घोषित किया है ।
• क्षेत्र – संपूर्ण मालवा अंचल में
• अवसर – सामान्यत: वर्षा ऋतु को छोड़कर वर्ष भर, रात्रि के प्रथम प्रहर में
• विषय वस्तु – मालवी लोक-जीवन पर आधारित
• माच के प्रमुख कलाकार – सिद्धेश्वर सेन, ओम प्रकाश शर्मा
ढोला मारू
• क्षेत्र – बुंदेलखंड
• भवाई जाति के लोग इस नाट्य में पारंगत है ।
बुंदेलखंड क्षेत्र के लोकनाट्य
स्वांग
• क्षेत्र – बुंदेलखंड
• अवसर – विभिन्न त्योहारों व उत्सवों पर राई नृत्य के बीच में प्रदर्शित किया जाता है ।
• विषय वस्तु – सामाजिक घटना पर आधारित
लकड़बग्घा
• क्षेत्र – बघेलखंड व बुंदेलखंड
• अवसर – विवाह के बाद खुले मंच पर
• विषय वस्तु – वन पशु आधारित नाट्य
रासलीला
• क्षेत्र – बघेलखंड व बुंदेलखंड
• अवसर – भादों में कृष्ण जन्माष्टमी के आसपास
• विषय वस्तु – कृष्ण की लीलाओं पर आधारित
बघेलखंड क्षेत्र के लोकनाट्य
नौटंकी
• क्षेत्र – बघेलखंड
• अवसर – किसी भी शुभ अवसर पर
• विषय वस्तु – लोक, दांपत्य जीवन पर हास्य व्यंग्य पर आधारित
जिंदबा (वहलोल) (गोरैया)
• क्षेत्र – बघेलखंड में
• अवसर – बारात गमन के बाद
• विषय वस्तु – महिला प्रधान हास्य व्यंग
छाहुर
• क्षेत्र – बघेलखंड
• अवसर – दीवाली के समय अहीर जाति द्वारा
• विषय वस्तु – सामूहिक दोहा गायन के साथ नाट्य
हिंगोट का युद्ध
मध्यप्रदेश में इंदौर के पास गौतमपुरा गाँव और रूणजी गाँव में दीपावली के दूसरे दिन (गोवर्धन पूजा) हिंगोट का युद्ध आयोजित होता है । इस पारम्परिक युद्ध में नारियल के समान हिंगोट फल को हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता है । जिसमें दो दलों के योद्धा एक-दूसरे के ऊपर हिंगोट
से प्रहार करते है ।
लोकचित्र कला | क्षेत्र | विशेष |
मांडना | मालवा | दीपावली के समय भूमि पर विभिन्न रंगों के साथ गेरू व छुई मिट्टी की सहायता से घर आँगन में बनाया जाता है । |
चित्रावण | मालवा | विवाह के समय घर की दीवार पर गेरू व हल्दी की सहायता से बनाया जाने वाला भित्ति चित्र । |
साँजा फूली | मालवा | क्वांर महीने में कुंवारी लड़कियों के द्वारा बनाया गया भित्ति चित्र । |
जिरोती | निमाड़ | सावन मास की हरियाली अमावस्या को भित्ति चित्र बनाया जाता है । |
थापा | निमाड़ | गेरू रंग की सहायता से दीवारों पर हाथ का थापा लगाया जाता है । |
ईरत | निमाड़ | विवाह के अवसर पर कुलदेवी का भित्ति चित्र बनाकर पूजा की जाती है । |
नौरता | बुंदेलखंड | नवरात्रि में गेरू व हल्दी से कुंवारी कन्याओं द्वारा बनाया जाने वाला भित्ति चित्र । |
मोरते | बुंदेलखंड | विवाह के समय दीवारों पर दूल्हा-दुल्हन हल्दी से थाप लगाते है । |
मोर मुरैला | बुंदेलखंड | दीवारों पर रंगों से मोर के चित्र बनाये जाते है । |
कोहबर | बघेलखंड | सामान्यत: विवाह अवसर पर वर-वधू की बुआ/मामी के द्वारा रंगीन भित्ति चित्र बनाये जाते हैं । |
छठी चित्र | बघेलखंड | बच्चे के जन्म के छठवें दिन छठी माता का गेरू से भित्ति चित्र बनाया जाता है । |
तिलंगा | बघेलखंड | कोयले में तिल के तेल को मिलाकर तिलंगा का भित्ति चित्र बनाया जाता है । |
मध्यप्रदेशकी लोक चित्रकला Folk Painting of Madhya Pradesh

बैगा जनजाति की जोधइया बाई उमरिया जिले की रहने वाली है । हाल ही में इन्हें चित्रकला के लिये पद्मश्री सम्मान के लिये नामांकित किया गया है ।
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