मध्यप्रदेश में पर्यटन स्थल Tourist places in Madhya Pradesh
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अमरकंटक –
• अमरकंटक अनूपपुर में मैकाल श्रेणी के अन्तर्गत अवस्थित हैं ।
• यहाँ पर कबीर चबूतरा, नर्मदाकुंड, सोनकुंड, कर्ण मंदिर, माई की बगिया व श्रीयंत्र मंदिर स्थित है ।
• अमरकंटक को पर्यटकों का तीर्थराज भी कहा जाता है ।
• अमरकंटक में कपिल धारा, दुग्ध धारा, लक्ष्मण धारा व पंच धारा जलप्रपात स्थित है ।
भेड़ाघाट –
• जबलपुर के पास स्थित है ।
• यहां पर चौसठयोगिनी मंदिर व धुआँधार जलप्रपात स्थित है ।
• भेड़ाघाट का नाम भृगु ऋषि के कारण पड़ा है ।
• यहां बन्दर कूदनी दर्शनीय स्थल है ।
चित्रकूट –
• सतना जिले में मंदाकिनी नदी पर स्थित है ।
• राज्य सरकार द्वारा इसे पवित्र नगर का दर्जा दिया गया है ।
• चित्रकूट में सत्ती अनुसुईया आश्रम, भरत कूट, हनुमान धारा, सीता कुंड, राम घाट आदि धार्मिक स्थल है ।
• जैन धर्म से सम्बंधित कामदगिरी तीर्थ स्थल है ।
• अब्दुल रहीम खान – खाना की कर्मभूमि चित्रकूट रही है ।
• तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना, अकबर के समय चित्रकूट में ही की थी ।
ओंकारेश्वर –
• नर्मदा नदी के तट पर खंडवा जिले में स्थित है ।
• राज्य सरकार द्वारा इसे पवित्र नगर का दर्जा दिया गया है ।
• प्रदेश का दूसरा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर – ममलेश्वर के रूप में मौजूद है ।
• यहाँ काजलरानी व शंकराचार्य की गुफायें है ।
• 108 फीट ऊँची आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की गयी है ।
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.महेश्वर –
• नर्मदा नदी के तट पर खरगौन जिले में स्थित है ।
• महाजनपद काल में दक्षिण अवंतिका की राजधानी माहिष्मति के रूप में रही है ।
• महेश्वर में सहस्त्रधारा जलप्रपात नर्मदा नदी पर स्थित है ।
• म.प्र. का सबसे बड़ा नदी घाट महेश्वर / अहिल्या घाट है ।
• अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासन में महेश्वर को राजधानी बनाया था ।
• महेश्वर में अहिल्याबाई संग्रहालय व अहिल्या बाई की समाधि स्थित है ।
• अहिल्याबाई द्वारा संरक्षित महेश्वर साड़ी उद्योग को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है ।
मैहर –
• मैहर सतना जिले में स्थित है ।
• यहां शारदा माता का मंदिर कैमूर श्रेणी के त्रिकूटा पर्वत पर स्थित है ।
• मैहर संगीतकार अलाउद्दीन खां की कर्मभूमि रहा है, इसलिए इसे संगीत नगरी के नाम से जाना जाता है ।
• मैहर में आल्हा उदल अखाडा व गोलमठ का मंदिर स्थित है ।
उज्जैन –
• उज्जैन क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है ।
• राज्य सरकार द्वारा इसे पवित्र नदी का दर्जा दिया गया है ।
• उज्जैन में दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर स्थित है ।
• उज्जैन में जंतर मंतर, संदीपनी आश्रम, गोपाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, गढ़कालिका मंदिर, चिंतामन मंदिर व हरसिद्धि माता का मंदिर स्थित है ।
साँची –
• साँची रायसेन जिले में स्थित है , यहाँ भारत का सबसे बड़ा स्तूप है ।
• साँची स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ई.पू. में कराया था ।
• सन 1989 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया ।
• साँची में भगवान बुद्ध के दो प्रधान शिष्यों सारिपुत्र व महामोगल्यायन की अस्थियाँ रखवाई थीं ।
• स्तूप में जहां हड्डी या अवशेष रखें जाते है वह स्थान हर्मिका कहलाता हैं व स्तूप का प्रदक्षिणा पथ मेधि
कहलाता है । स्तूप के चारो ओर तोरण द्वार बने हैं जिन पर जातक कथाएं चित्रित है ।
• सांची स्तूप का व्यास 36.5 मीटर और ऊंचाई लगभग 21.64 मीटर है ।
• साँची स्तूप की खोज 1818 में जनरल टेलर ने की थी ।
• साँची पुरातात्विक संग्रहालय की स्थापना जॉन मार्शल ने 1919 में की थी ।
खजुराहो –
• खजुराहो नगर चंदेल शासकों का धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्र था, जिसकी आधारशिला विख्यात राजा चंद्रवर्मा (नन्नुक) ने रखी ।
• छतरपुर जिले के राजनगर तहसील में स्थित यह प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल हैं ।
• चंदेल राजाओं द्वार निर्मित खजुराहो के इन मंदिरों का निर्माण काल 950 ई. से लेकर 1050 ई. के बीच माना जाता है ।
• यहाँ शैव, जैन, वैष्णव धर्म से संबंधित मंदिर हैं, इनकी संख्या वर्तमान में लगभग 25 हैं ।
• 1986 से यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं ।
• ब्रिटिश इंजीनियर टी.एस.बर्ट ने खजुराहों के मंदिरों को खोजने में विशेष भूमिका निभाई थी ।
माण्डू –
• यह धार जिलें में स्थित है । माण्डू को आनंद की नगरी (सीटी ऑफ ज्वॉय) भी कहा जाता है ।
• मांडू का पुराना नाम शादियाबाद है ।
• मांडू में अशर्फी महल, जहाज महल, हिंडोला महल, बाजबहादुर का महल, रूपमती महल व तबेली महल इत्यादि स्थित है ।
• मांडू में जामा मस्जिद, होशंगशाह का मकबरा व नीलकंठ मंदिर स्थित है ।
• मांडू में लगभग 12 प्रवेश द्वारा निर्मित हैं इनमें सुल्तान या दिल्ली दरवाजा प्रमुख है, इसे मांडू का प्रवेश
द्वार भी कहते हैं व इसके अलावा यहाँ जहांगीर दरवाजा, आलमगीर दरवाजा , भंगी दरवाजा, गाड़ी दरवाजा, राम गोपाल दरवाजा, तारापुर दरवाजा स्थित है ।
भीमबैठका –
• भीमबैठका रायसेन जिले में स्थित है व इसे वर्ष 2003 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया ।
• 1957 में इस स्थल की खोज प्रसिद्ध पुरातत्व शास्त्री स्व. डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने की ।
• यहाँ पुरापाषाण काल के साक्ष्य मिलते हैं ।
ग्वालियर –
• ग्वालियर में ग्वालियर किला स्थित है, जिसे जिब्राल्टर फोर्ट के नाम से जाना जाता है ।
• ग्वालियर किले में गूजरी महल, जहांगीर महल, मोती महल व विक्रम महल स्थित है ।
• ग्वालियर किले में मान मंदिर व सहस्त्रबाहु का मंदिर स्थित है ।
• म.प्र. का सबसे बड़ा गुरूद्वारा बंदी छोड़ ग्वालियर किले में ही स्थित है ।
• ग्वालियर किले का निर्माण राजा सूरज सेन ने करवाया था ।
• ग्वालियर किले में पांच दरवाजे जिसमें दो मुख्य दरवाजे – पहला उत्तर –पूर्व (हथीपूल) और दूसरा दक्षिण – पश्चिम (बादलगढ़ द्वारा), हिंडोला, भर्तृहरि, आलमगीर स्थित है ।
पचमढ़ी –
• पंचमढ़ी की खोज ब्रिटिश अधिकारी कैप्टन जे. फारसोथ ने की थी ।
• पंचमढ़ी को “सतपुड़ा की रानी’’ एवं “मध्यप्रदेश की ग्रीष्म कालीन राजधानी’’ कहते हैं ।
• यहां मुख्य पर्यटन स्थल जटाशंकर, पाण्डव गुफा, धूपगढ़, चौरागढ़, नन्दी गढ़ है ।
• यहां प्रमुख जल प्रपात डचेस, रजत, अप्सरा, एवं बी फॉल स्थित है ।
• पचमढ़ी में मध्यप्रदेश का जड़ीबूटी केंद्र बनाया गया है ।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान –
• कान्हा मंडला में स्थित है । इस उद्यान को 1933 में वन्य जीव अभ्यारण्य एवं 1955 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया व 1974 में “प्रोजेक्ट टाइगर’’ में शामिल किया गया ।
• यहां से बंजर व हॉलो नदियाँ प्रवाहित होती है ।
• कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का शुभंकर “भूरसिंह द बारहसिंगा’’ है, जिसके डिजायनर रोहन चक्रवर्ती हैं ।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान –
• पेंच राष्ट्रीय उद्यान म.प्र. में सिवनी में स्थित है, 1975 में राष्ट्रीय उद्यान तथा 1992 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया ।
• इसका अन्य नाम इंदिरा प्रियदर्शनी है, इसके बीचों बीच पेंच व कान्हन नदी प्रवाहित होती है ।
• इस राष्ट्रीय उद्यान को मोगली लैंड भी कहा जाता है ।
बहुटी व चचाई जलप्रपात –
• बहुटी म.प्र. का सबसे ऊँचा जलप्रपात है, जिसकी ऊंचाई 198 मीटर है एवं चचाई म.प्र. का दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात है ।
मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी –
• मुकुंद व्हाइट टाइगर सफारी सतना में स्थित है । इसका उद्धाटन 3 अप्रैल 2016 को हुआ । यहाँ सफेद शेरों को बसाया गया है ।
अन्य जैन तीर्थ स्थल
• मुक्तागिरी (बैतूल)
• सोनागिरी (दतिया)
• गोमतगिरी (इंदौर)
• पावागिरी (खरगौन)
• बावनगजा (बड़वानी)
• पुष्पगिरी (देवास) – सोनकच्छ
• कामदगिरि (चित्रकुट)
• मंगलगिरि (सागर)
• मतुंगगिरि (धार)
कुण्डलपुर (जैन तीर्थ स्थल) मध्यप्रदेश के दमोह जिले की पटेरा तहसील में स्थित है । यहाँ बड़े बाबा के नाम से प्रसिद्ध
भगवान आदिनाथ की 12 फीट ऊंची प्रतिमा है ।
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